बहुत समय पहले, एक घने जंगल के बीचों-बीच एक छोटा-सा गांव बसा हुआ था। इस गांव का नाम था “डरावना गांव”। यहां के निवासी ज्यादातर जंगल से लकड़ी काटकर और खेती करके अपना जीवनयापन करते थे। गांव के चारों ओर फैला गहरा जंगल इस गांव को और भी रहस्यमयी बना देता था।
गांव के लोग शाम ढलते ही अपने घरों में बंद हो जाते थे। कहते थे कि रात के समय जंगल में कुछ अजीबोगरीब घटनाएं घटित होती थीं। कुछ लोग दावा करते थे कि उन्होंने रात में जंगल से अजीब-सी आवाजें सुनी थीं। ये आवाजें कभी-कभी भयावह हंसी जैसी होती थीं, कभी किसी के रोने की आवाज और कभी जानवरों के दहाड़ने की आवाज भी।
एक दिन, गांव का एक युवा लड़का जिसका नाम अर्जुन था, उसने ठान लिया कि वह इन रहस्यों का पता लगाएगा। उसने अपनी मित्र, सीमा, को भी अपने साथ ले लिया। दोनों ने सारी रात जंगल में रहने की योजना बनाई। वे दोनों जंगल के अंदर एक गुफा में छुपकर बैठ गए।
रात होते ही जंगल में अजीब-सी हरकतें शुरू हो गईं। अर्जुन और सीमा ने देखा कि जंगल में कुछ साये जैसी आकृतियां घूम रही थीं। सीमा डरी हुई थी, लेकिन अर्जुन ने हिम्मत दिखाई। अचानक, एक डरावनी हंसी गूंज उठी और अर्जुन व सीमा को लगा कि उनके आसपास कोई है।
दोनों ने महसूस किया कि उनकी सांसें तेज हो रही हैं और दिल की धड़कन बढ़ रही है। उन्होंने देखा कि एक पुराना साधु वहां खड़ा हुआ था। साधु ने उन्हें देखकर मुस्कान बिखेरी और कहा, “डरो मत, बच्चे। यह गांव और जंगल सच में बहुत डरावने हैं, लेकिन इसका कारण जानने के लिए तुम्हें सच्चाई का सामना करना होगा।”
अर्जुन ने हिम्मत करके पूछा, “आप कौन हैं और ये सब क्या हो रहा है?”
साधु ने कहा, “यह जगह एक पुराने श्राप से ग्रस्त है। बहुत साल पहले यहाँ के राजा ने एक निर्दोष साधु को मौत की सजा दी थी। तब से यह गांव और जंगल श्रापित हो गए हैं। जो भी इस श्राप को समाप्त करना चाहता है, उसे सच्ची हिम्मत और विश्वास होना चाहिए।”
अर्जुन और सीमा ने फैसला किया कि वे इस श्राप को समाप्त करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने साधु से मार्गदर्शन लेकर विशेष पूजा-अर्चना की और गांव के लोगों को भी इस बारे में बताया। धीरे-धीरे श्राप का प्रभाव कम होने लगा और गांव के वातावरण में सुधार आने लगा।
इस प्रकार, अर्जुन और सीमा की हिम्मत और विश्वास ने “डरावना गांव” को फिर से एक खुशहाल और सुरक्षित स्थान बना दिया।