उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक पुरानी और भुतहा हवेली थी। गाँव के लोग इसे ‘भूतिया हवेली’ के नाम से जानते थे। कहा जाता था कि हवेली में एक भूतनी का वास है, जो रात के समय वहाँ भटकती है और किसी को भी अंदर नहीं जाने देती।
एक बार गाँव में एक नौजवान लड़का, रवि, आया जो बहुत ही साहसी था। उसे भूतिया हवेली की कहानियों में विश्वास नहीं था और उसने तय किया कि वह इस हवेली का रहस्य जान कर रहेगा। सभी गाँव वालों ने उसे मना किया, लेकिन रवि ने किसी की भी नहीं सुनी और एक रात जब चाँदनी रात थी, वह हवेली की दिशा में बढ़ चला।
हवेली में प्रवेश करते समय, रवि ने देखा कि दरवाजे पर एक पुराना ताला लटका हुआ था। उसने ताला तोड़ा और धीरे-धीरे हवेली के अंदर प्रवेश किया। हवेली में चारों ओर धूल और मकड़ी के जाले थे। हवेली का आंतरिक दृश्य बहुत ही डरावना था। दीवारों पर अजीब-अजीब चित्र अंकित थे और फर्श पर पुराने कंकाल पड़े थे।
जैसे ही रवि ने हवेली की सबसे गहरी कक्ष की ओर कदम बढ़ाया, अचानक एक ठंडी हवा का झोंका आया और दरवाजे अपने आप बंद हो गए। रवि ने देखा कि एक अदृश्य शक्ति ने उसे पकड़ लिया है। तभी अचानक एक भूतनी प्रकट हुई, जिसकी आँखें लाल थी और उसके बाल हवा में उड़ रहे थे। भूतनी ने रवि से कहा, “तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था। यह हवेली मेरा घर है, और मैं किसी को भी इसे अपवित्र करने नहीं दूँगी।”
रवि ने साहस के साथ भूतनी से पूछा, “तुम कौन हो और इस हवेली का क्या रहस्य है?” भूतनी ने अपनी दर्द भरी कहानी सुनाई। वह एक समय में इस हवेली की मालिक, एक सुंदर युवती थी। एक दिन उसके प्रेमी ने उसे धोखा देकर मार डाला और तभी से उसकी आत्मा इस हवेली में भटक रही है। जब तक उसे न्याय नहीं मिलेगा, वह यूं ही भटकती रहेगी।
रवि ने उसकी बात सुनी और उसे न्याय दिलाने का वादा किया। उसने गाँव के पास के पुलिस थाने में जाकर इस बात की शिकायत की और कुछ सबूत भी जमा किए। कुछ महीनों बाद, पुलिस ने उस अपराधी को गिरफ्तार कर लिया और भूतनी को न्याय मिला। उस रात, भूतनी ने रवि के सपने में आकर उसे धन्यवाद दिया और कहा कि अब उसकी आत्मा को शांति मिल गई है।
इसके बाद उस हवेली में भूतनी का साया नहीं देखा गया। गाँव वाले भी अब नि:शंक होकर वहां जा सकते थे। रवि की साहसिकता की वजह से गाँव के लोग उसे हीरो मानने लगे और भूतिया हवेली अब सिर्फ एक पुरानी हवेली बनकर रह गई।