गाँव का नाम था आनंदपुर। यह गाँव अपनी सुंदरता और हरियाली के लिए मशहूर था। यहाँ के लोग बहुत ही सरल और ईमानदार थे। लेकिन एक रहस्यमयी घटना ने गाँव में हलचल मचा दी थी। गाँव के बीचों-बीच एक पुराना बाज़ार था, जहाँ हर शाम एक फूल बेचने वाली महिला आती थी। उसकी दुकान पर हमेशा सुगंधित फूलों की भरमार रहती थी। लेकिन लोग कहते थे कि वह महिला कोई साधारण नहीं, बल्कि एक भूत थी।
राधिका, गाँव की एक युवा लड़की, इस कहानी से बहुत प्रभावित हुई। उसने सोच लिया कि वह इस रहस्य का पता लगाकर ही रहेगी। एक दिन शाम को, जब बाज़ार बंद हो रहा था और लोग घर जा रहे थे, राधिका ने अपनी माँ से कहा कि वह थोड़ी देर और बाज़ार में रहेगी। उसकी माँ ने उसे घर लौटने को कहा लेकिन राधिका ने अपने निर्णय पर अड़ी रही।
राधिका ने फूल बेचने वाली महिला के बारे में जानने के लिए उससे बात करने का मन बनाया। वह धीरे-धीरे उसकी दुकान की ओर बढ़ी। महिला ने एक हल्की मुस्कान के साथ राधिका का स्वागत किया। राधिका ने धीरे से पूछा, “आपका नाम क्या है?”
महिला ने कहा, “मेरा नाम है कमला।”
राधिका ने देखा कि कमला बहुत ही सुंदर और सजीव लग रही थी। उसने सोचा कि शायद ये भूत वाली बातें महज अफवाह हैं। लेकिन तभी कमला ने एक सवाल पूछा, “तुम्हें फूल चाहिए या कोई और जानकारी?”
राधिका ने हिम्मत जुटाकर कहा, “लोग कहते हैं कि आप भूत हैं। क्या यह सच है?”
कमला ने हंसते हुए कहा, “हाँ, मैं भूत हूँ। लेकिन मैं किसी को नुकसान पहुंचाने नहीं आई हूँ।”
राधिका ने अचंभित होकर पूछा, “फिर आप यहाँ क्यों आती हैं?”
कमला ने अपनी कहानी सुनाई। “मेरे जीवन में एक समय था जब मैं इस गाँव में फूल बेचती थी। लेकिन एक दिन एक दुर्घटना में मेरी मृत्यु हो गई। मेरी आत्मा यहाँ अटकी रह गई और मैं अभी भी अपने फूलों के साथ यहाँ आती हूँ।”
राधिका ने पूछा, “आपकी आत्मा को शांति कैसे मिलेगी?”
कमला ने कहा, “जब तक कोई मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं करेगा, मैं यहाँ अटकी रहूँगी। मेरी इच्छा है कि मेरे फूलों को इस गाँव के हर घर में रखा जाए, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके।”
राधिका ने यह बात गाँववालों को बताई। सभी ने मिलकर कमला की अंतिम इच्छा पूरी की। सभी घरों में कमला के फूल रखे गए। अगले दिन, जब राधिका बाज़ार गई, तो उसने देखा कि कमला की दुकान गायब थी। कमला की आत्मा को शांति मिल चुकी थी।
गाँव के लोग अब इस घटना को याद करते हैं और कमला की याद में हर साल एक फूल उत्सव मनाते हैं। इस तरह, आनंदपुर की यह रहस्यमयी कहानी एक सुखद अंत के साथ संपन्न हुई।
आनंदपुर गाँव की शांति और सुकून कमला, फूल बेचने वाली भूत की रहस्यमयी कहानी के बाद लौट आई थी। लेकिन राधिका की जिज्ञासा यहाँ खत्म नहीं हुई। वह अक्सर सोचती थी कि क्या गाँव में और भी आत्माएं हैं जिनका काम अधूरा रह गया है।
एक शाम, जब वह उस खाली जगह से गुजर रही थी जहाँ कभी कमला की फूलों की दुकान हुआ करती थी, उसने ज़मीन से एक हल्की चमक निकलती देखी। उसने झुककर देखा तो वहाँ एक सुंदर, दिव्य फूल खिला हुआ था। यह फूल किसी और फूल जैसा नहीं था, इसकी खुशबू और चमक अनोखी थी।
राधिका ने यह फूल गाँव के बुजुर्ग, श्री शर्मा जी के पास ले जाने का फैसला किया, जो प्राचीन कहानियों और रहस्यों के ज्ञाता थे। जब शर्मा जी ने फूल देखा, तो उनकी आँखों में पहचान की चमक उभर आई।
“यह कोई साधारण फूल नहीं है, राधिका,” उन्होंने गंभीरता से कहा। “इसे ‘आत्मा पुष्प’ कहा जाता है, एक दुर्लभ फूल जो उन्हीं जगहों पर खिलता है जहाँ आत्माओं को शांति मिलती है। इसका यहाँ खिलना इस बात का संकेत है कि कमला की आत्मा को शांति मिल चुकी है, लेकिन यह भी बताता है कि और भी आत्माएं तुम्हारी मदद चाहती हैं।”
राधिका के रोंगटे खड़े हो गए लेकिन उसके मन में एक उद्देश्य की भावना जाग गई। उसने शर्मा जी से पूछा, “अब मुझे क्या करना चाहिए?”
शर्मा जी ने उत्तर दिया, “तुम्हें इस फूल को सुरक्षित रखना होगा और सतर्क रहना होगा। अगर कोई और आत्मा तुम्हारी मदद चाहती है, तो वे तुम्हें संकेत देंगी। याद रखना, तुम्हारे इरादे नेक होने चाहिए और तुम्हें हमेशा उनकी आत्मा को शांति दिलाने का प्रयास करना चाहिए।”
दिन हफ्तों में बदल गए और कुछ असाधारण नहीं हुआ। राधिका ने अपनी दैनिक गतिविधियों को जारी रखा, लेकिन उसने आत्मा पुष्प को अपने कमरे में एक विशेष स्थान पर रखा। एक रात, उसे एक ज्वलंत सपना आया जिसमें कमला ने उससे बात की।
“राधिका,” कमला ने कहा, “तुम्हारी यात्रा अभी शुरू हुई है। गाँव में और भी आत्माएं हैं जिन्हें तुम्हारी मदद की आवश्यकता है। तुम्हें चुना गया है क्योंकि तुम निडर और दयालु हो। संकेतों का पालन करो, और तुम उन्हें पाओगी।”
अगली सुबह, राधिका एक नए संकल्प के साथ जागी। उसने गाँव और उसके आसपास के इलाकों को खोजने का फैसला किया, किसी भी तरह के संकेतों की तलाश में। उसकी पहली मंजिल थी पहाड़ी पर स्थित एक पुराना हवेली, जिसे प्रेतवाधित माना जाता था।
जब वह हवेली के पास पहुंची, तो उसे एक अजीब सी उपस्थिति महसूस हुई। उसने पुकारा, “कोई है यहाँ? मैं मदद करने आई हूँ।”
एक मुलायम, फुसफुसाती आवाज़ ने उत्तर दिया, “मुझे शांति दिलाओ।”
राधिका उस आवाज़ का पीछा करते हुए हवेली के अंदर गई और एक पुरानी डायरी पाई जो एक युवा महिला, मीरा की थी। डायरी में यह लिखा था कि मीरा अपने प्रेमी का इंतजार कर रही थी, जो युद्ध से कभी वापस नहीं आया। उसकी आत्मा हवेली में फंसी हुई थी, closure की तलाश में।
राधिका ने मीरा के प्रेमी के बारे में पता लगाने का निर्णय लिया। शर्मा जी और गाँव वालों की मदद से, उसने पता लगाया कि मीरा का प्रेमी युद्ध में मारा गया था और उसने मीरा के लिए एक पत्र छोड़ा था, जो कभी उसे नहीं मिला।
राधिका ने वह पत्र हवेली में रखा, और जैसे ही उसने ऐसा किया, कमरे में एक नरम चमक फैल गई। मीरा की आत्मा प्रकट हुई, उसने पत्र पढ़ा, और खुशी के आँसू के साथ, उसने राधिका को धन्यवाद दिया और स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गई।
राधिका की बहादुरी की खबर पूरे गाँव में फैल गई, और लोग उसकी तारीफ करने लगे। राधिका ने महसूस किया कि यह उसकी नियति थी कि वह उन आत्माओं की मदद करे जो गांव में शांति की तलाश में थीं। इस तरह, राधिका की यात्रा शुरू हुई, और वह आत्माओं को शांति दिलाने के अपने मिशन को जारी रखी।