बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में, घने जंगलों के बीच एक रहस्यमयी कहानी प्रचलित थी। इस गाँव के पास एक पुरानी और सुनसान हवेली थी, जिसे लोग “चुड़ैल की हवेली” के नाम से जानते थे। लोगों का कहना था कि उस हवेली में एक चुड़ैल रहती थी, और उसने वहाँ एक बहुत बड़ा खजाना छुपा रखा था। लेकिन उस खजाने तक पहुँचने की हिम्मत कोई नहीं कर पाया, क्योंकि चुड़ैल की आत्मा उसकी रक्षा करती थी।
गाँव के बच्चे उस हवेली के पास जाने से डरते थे, और बड़े बुजुर्ग भी उस हवेली के बारे में बात करने से कतराते थे। लेकिन एक दिन, गाँव के एक साहसी युवक, जिसका नाम वीरू था, ने फैसला किया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा और खजाने को ढूंढ निकालेगा। वीरू ने अपने दोस्तों को भी इस साहसी कार्य में शामिल होने के लिए मनाया।
रात के समय, जब पूरा गाँव सो रहा था, वीरू और उसके दोस्त उस हवेली के पास पहुंचे। हवेली के बाहर एक हल्की, रहस्यमयी रोशनी दिखाई दी। वीरू ने धीरे-धीरे हवेली का दरवाजा खोला और अंदर झांका। अंदर का दृश्य देखकर वह हक्का-बक्का रह गया। हवेली के भीतर एक भयानक चुड़ैल, सफेद कपड़ों में लिपटी हुई, एक पुरानी किताब के पन्ने पलट रही थी। उसकी आँखें लाल और चेहरे पर भयानक क्रोध था।
वीरू ने साहस जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रही हो?”
चुड़ैल ने अपनी लाल, भयानक आँखों से वीरू की ओर देखा और कहा, “मेरा नाम रुक्मिणी है। मैं इस गाँव की ही थी। वर्षों पहले, गाँव वालों ने मुझ पर झूठा आरोप लगाकर मुझे इस हवेली में बंद कर दिया और मेरी हत्या कर दी। मेरी आत्मा यहाँ अटकी रह गई और मैं अपने खजाने की रक्षा कर रही हूँ।”
रुक्मिणी की आवाज में एक अजीब सी सिहरन थी, जिससे वीरू और उसके दोस्तों की रूह कांप गई। वीरू और उसके दोस्तों को रुक्मिणी की कहानी सुनकर बहुत दुख हुआ। उन्होंने सोचा कि कैसे रुक्मिणी की आत्मा को शांति दिलाई जाए और खजाने को ढूंढ निकाला जाए। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों से इस बारे में बात की। बुजुर्गों ने बताया कि रुक्मिणी की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए एक विशेष पूजा की आवश्यकता है।
वीरू और उसके दोस्त उस पूजा की तैयारी में जुट गए। उन्होंने गाँव के पुजारी से सलाह ली और सारी आवश्यक सामग्रियों का इंतजाम किया। पूजा के दिन, पूरी गाँव ने मिलकर पूजा की और रुक्मिणी की आत्मा के लिए प्रार्थना की। पूजा के दौरान, हवा में एक अजीब सी ठंडक छा गई और एक भयानक आवाज गूँजने लगी। लेकिन जैसे-जैसे पूजा आगे बढ़ी, रुक्मिणी की आत्मा धीरे-धीरे शांत होने लगी।
पूजा के बाद, रुक्मिणी की आत्मा ने वीरू और उसके दोस्तों को धन्यवाद कहा और फिर वह धीरे-धीरे हवा में विलीन हो गई। इस घटना के बाद, हवेली में छुपा खजाना प्रकट हो गया। वीरू और उसके दोस्तों ने खजाने को गाँव के विकास और समृद्धि के लिए उपयोग करने का फैसला किया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम एकजुट होकर काम करते हैं, तो हम किसी भी रहस्य को सुलझा सकते हैं और आत्माओं को शांति दिला सकते हैं। वीरू और उसके दोस्तों ने मिलकर गाँव को चुड़ैल के डर से मुक्त किया और गाँव में एक नई पहचान दिलाई।