बहुत समय पहले, एक छोटे और घने जंगलों से घिरे गाँव में एक भयानक और रहस्यमयी घटना घटित होती थी। गाँव के बाहर, एक पुरानी और सुनसान हवेली थी, जहाँ चुड़ैल रहती थी। इस चुड़ैल को लोग “चुड़ैल” के नाम से जानते थे। गाँव वालों का मानना था कि चुड़ैल रात के समय गाँव में घूमती थी और अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए आई थी।
गाँव वाले अक्सर अपने बच्चों को हवेली के पास जाने से मना करते थे और रात के समय अकेले ना घूमने की चेतावनी देते थे। लेकिन एक दिन, गाँव के एक साहसी युवक, जिसका नाम राजू था, ने फैसला किया कि वह चुड़ैल की सच्चाई का पता लगाएगा और गाँव को इस डर से मुक्त करेगा।
एक रात, जब चाँदनी अपनी चरम सीमा पर थी, राजू और उसके दोस्तों ने साहस जुटाकर उस हवेली की ओर जाने का निर्णय लिया। जैसे ही वे हवेली के पास पहुँचे, उन्हें हवा में एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई और चारों ओर एक भयानक सन्नाटा छा गया। हवेली के अंदर से एक हल्की, डरावनी रोशनी दिखाई दे रही थी।
राजू ने धीरे-धीरे हवेली का दरवाजा खोला और अंदर झांका। अंदर का दृश्य देखकर वह हक्का-बक्का रह गया। हवेली के भीतर एक भयानक चुड़ैल, सफेद कपड़ों में लिपटी हुई, एक पुरानी किताब के पन्ने पलट रही थी। उसकी आँखें लाल और चेहरे पर भयानक क्रोध था।
राजू ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रही हो?”
चुड़ैल ने अपनी लाल, भयानक आँखों से राजू की ओर देखा और कहा, “मेरा नाम सविता है। मैं इस गाँव की ही थी। वर्षों पहले, गाँव वालों ने मुझ पर झूठे आरोप लगाकर मुझे इस हवेली में बंद कर दिया और मेरी हत्या कर दी। मेरी आत्मा यहाँ अटकी रह गई और मैं अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए यहाँ भटक रही हूँ।”
सविता की आवाज में एक अजीब सी सिहरन थी, जिससे राजू और उसके दोस्तों की रूह कांप गई। राजू और उसके दोस्तों को सविता की कहानी सुनकर बहुत दुख हुआ। उन्होंने सोचा कि कैसे सविता की आत्मा को शांति दिलाई जाए। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों से इस बारे में बात की। बुजुर्गों ने बताया कि सविता की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए एक विशेष पूजा की आवश्यकता है।
राजू और उसके दोस्त उस पूजा की तैयारी में जुट गए। उन्होंने गाँव के पुजारी से सलाह ली और सारी आवश्यक सामग्रियों का इंतजाम किया। पूजा के दिन, पूरी गाँव ने मिलकर पूजा की और सविता की आत्मा के लिए प्रार्थना की। पूजा के दौरान, हवा में एक अजीब सी ठंडक छा गई और एक भयानक आवाज गूँजने लगी। लेकिन जैसे-जैसे पूजा आगे बढ़ी, सविता की आत्मा धीरे-धीरे शांत होने लगी।
पूजा के बाद, सविता की आत्मा ने राजू और उसके दोस्तों को धन्यवाद कहा और फिर वह धीरे-धीरे हवा में विलीन हो गई। इस घटना के बाद, गाँव वालों का डर खत्म हो गया और वे अपनी सामान्य जिंदगी में लौट आए। राजू और उसके दोस्तों ने सविता की याद में उस हवेली का नाम “शांति निवास” रख दिया। अब वह हवेली गाँव के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक बन गई और लोग वहां आकर सविता की कहानी सुनते थे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम एकजुट होकर काम करते हैं, तो हम किसी भी भयानक रहस्य को सुलझा सकते हैं और आत्माओं को शांति दिला सकते हैं। राजू और उसके दोस्तों ने मिलकर गाँव को चुड़ैल के डर से मुक्त किया और गाँव में एक नई पहचान दिलाई।