बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में, घने जंगलों के बीच एक पुरानी हवेली थी जिसे लोग “भूल भुलैया” के नाम से जानते थे। गाँव वालों का मानना था कि इस हवेली में एक भूतनी का वास है, जो अपने खोए हुए प्रेमी का इंतजार करती है।
यह कहानी है मीरा और अर्जुन की। मीरा एक सुंदर युवती थी, जो अपने परिवार के साथ उस हवेली में रहती थी। वह अर्जुन नामक एक वीर सैनिक से प्रेम करती थी। दोनों ने शादी करने का वादा किया था, लेकिन नियति कुछ और ही चाहती थी। अर्जुन को युद्ध में बुलाया गया और मीरा ने वादा किया कि वह उसका इंतजार करेगी। लेकिन अर्जुन कभी वापस नहीं लौटा क्योंकि वह युद्ध में मारा गया था। इस खबर से मीरा का दिल टूट गया। उसने अपने दिन और रात अर्जुन की वापसी की प्रतीक्षा में बिताए, लेकिन अंततः वह अपने दुख में ही मर गई। उसकी आत्मा को शांति नहीं मिली और वह हवेली में अटकी रह गई, अपने प्रेमी का इंतजार करती रही।
साल बीतते गए, और मीरा और अर्जुन की कहानी एक डरावनी कथा बन गई। एक दिन, गाँव में एक युवा युवक, जिसका नाम रोहन था, उस हवेली की सच्चाई जानने के लिए उत्सुक हुआ। वह साहसी था और उसने तय किया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा।
रात के समय, जब पूरा गाँव सो रहा था, रोहन उस हवेली की ओर बढ़ा। हवेली के पास पहुँचते ही उसे एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई और हवेली से हल्की रोशनी निकलती हुई दिखी। रोहन ने धीरे-धीरे दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हुआ। अंदर का दृश्य देखकर वह चकित रह गया। हवेली के बीचों-बीच, सफेद साड़ी में लिपटी एक सुंदर युवती की आत्मा खड़ी थी, जिसके चेहरे पर उदासी थी।
रोहन ने साहस जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रही हो?”
मीरा की आत्मा ने अपनी उदास आँखों से रोहन की ओर देखा और कहा, “मेरा नाम मीरा है। मैं इस हवेली में अपने प्रेमी अर्जुन का इंतजार कर रही हूँ। वर्षों पहले, वह युद्ध में गया और कभी वापस नहीं लौटा। मेरी आत्मा को शांति नहीं मिली और मैं यहाँ उसकी प्रतीक्षा कर रही हूँ।”
मीरा की कहानी सुनकर रोहन को बहुत दुख हुआ। उसने सोचा कि कैसे मीरा की आत्मा को शांति दिलाई जाए। उसने गाँव के बुजुर्गों से इस बारे में बात की और उन्होंने बताया कि मीरा की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए एक विशेष पूजा की आवश्यकता है।
रोहन ने गाँव के पुजारी से सलाह ली और सारी आवश्यक सामग्रियों का इंतजाम किया। पूजा के दिन, पूरी गाँव ने मिलकर पूजा की और मीरा की आत्मा के लिए प्रार्थना की। पूजा के दौरान, हवेली में एक अजीब सी ठंडक छा गई और एक हल्की रोशनी फैलने लगी। जैसे-जैसे पूजा आगे बढ़ी, मीरा की आत्मा धीरे-धीरे शांत होने लगी।
पूजा के बाद, मीरा की आत्मा ने रोहन और गाँव वालों को धन्यवाद कहा और फिर वह हवा में विलीन हो गई। इस घटना के बाद, हवेली में शांति छा गई और गाँव वालों का डर खत्म हो गया। उन्होंने हवेली को साफ किया और उसे एक स्मारक के रूप में संरक्षित किया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा प्रेम अमर होता है और आत्माओं को शांति दिलाने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। रोहन ने अपने साहस और करुणा से मीरा की आत्मा को मुक्ति दिलाई और गाँव में शांति और प्रेम की नई पहचान दिलाई।