जंगल की डरावनी रात
यह कहानी एक घने जंगल की है, जहाँ सूरज ढलते ही डरावनी घटनाएं शुरू हो जाती थीं। लोग इस जंगल को “भूतिया जंगल” कहते थे और अक्सर “Bhoot ki kahani” और “ghost story” की बातें करते थे। गाँव के लोग इस जंगल के पास जाने से भी कतराते थे, खासकर रात के समय।
गाँव में एक युवा पत्रकार, सुमित, रहता था। उसे इन भूत-प्रेत की कहानियों पर बिल्कुल विश्वास नहीं था और उसने ठान लिया कि वह इस जंगल की सच्चाई का पता लगाएगा। उसने अपने कैमरा और रिकॉर्डिंग उपकरण साथ लिए और रात के समय जंगल में जाने का फैसला किया।
जंगल में घुसते ही सुमित को एक अजीब सा सन्नाटा महसूस हुआ। चारों तरफ घना अंधेरा और सरसराती हवा ने माहौल को और भी डरावना बना दिया। सुमित ने अपने उपकरण चालू किए और जंगल में आगे बढ़ने लगा। अचानक उसे एक पेड़ के पीछे से किसी के चलने की आवाज सुनाई दी। उसने सोचा कि यह शायद कोई जानवर होगा, लेकिन जैसे ही उसने कैमरा उस दिशा में घुमाया, उसे एक सफेद छाया दिखाई दी।
सुमित का दिल जोर से धड़कने लगा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने उस छाया का पीछा करना शुरू किया। चलते-चलते वह एक पुराने मंदिर के खंडहर तक पहुँच गया। मंदिर के अंदर घुसते ही उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ और उसकी टॉर्च अचानक बंद हो गई। अब अंधेरे में सुमित को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
तभी अचानक मंदिर के अंदर एक दीपक जल उठा और सुमित ने देखा कि एक पुरानी साड़ी पहने एक महिला की आकृति उसके सामने खड़ी है। सुमित ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो?” आकृति ने कहा, “मैं इस मंदिर की पुजारिन थी। मुझे यहाँ बलिदान कर दिया गया और अब मेरी आत्मा यहाँ भटक रही है।”
सुमित ने पूछा, “मैं तुम्हारी कैसे मदद कर सकता हूँ?” आकृति ने कहा, “मेरा बलिदान करने वाले लोगों की सच्चाई सबके सामने लाओ, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके।” सुमित ने वादा किया कि वह यह सब करेगा। तभी अचानक दीपक बुझ गया और वह आकृति गायब हो गई।
सुमित ने अगले दिन गाँव लौटकर सारी बात लोगों को बताई। गाँव के बुजुर्गों ने भी कहा कि उन्होंने भी उस भूतनी को कई बार देखा है। सुमित ने अपने अखबार में पूरी कहानी छापी और उस मंदिर की सच्चाई लोगों के सामने लाई। इस घटना के बाद गाँव में कभी भी “Bhoot ki kahani” या “ghost story” जैसी बातें नहीं सुनी गईं।