पुराने जमाने की बात है, हरियाणा के एक छोटे से गांव परागपुर में एक रहस्यमयी तालाब था। गांववाले उसे “भूतिया तालाब” कहा करते थे। लोग मानते थे कि तालाब में एक भूत का वास है, जो रात को बाहर आकर लोगों को डराता है।
वीरेंद्र, गांव का सबसे साहसी लड़का था। उसको हमेशा से रहस्य और भूत की कहानियों में दिलचस्पी रही थी। एक दिन उसने खुद ही ठान लिया कि वह इस तालाब के भूत का राज़ निकालेगा। वीरेंद्र ने अपने दो दोस्तों, सोनू और राकेश को भी अपने साथ लिया।
तीनों दोस्त रात के अंधेरे में तालाब के पास पहुंचे। चारों ओर सन्नाटा था और केवल झींगुरों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। वीरेंद्र ने जलती हुई मशाल ली और तालाब के किनारे पर जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही वे पानी के पास पहुंचे, तालाब के पानी में हलचल होने लगी और धीरे-धीरे उसमें से भूत जैसा कुछ उभरने लगा।
वह छाया एक औरत की थी, जिसका चेहरा बेहद डरा देने वाला था। तीनों दोस्त डर से कांप उठे पर वीरेंद्र ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो और यहाँ क्यों रहती हो?”
वह आत्मा करुण आवाज़ में बोली, “मैं इस गांव की एक साधारण महिला थी। मेरे साथ अन्याय हुआ और मुझे मारकर इस तालाब में फेंक दिया गया। मेरी आत्मा को शांति नहीं मिल पाई है।”
वीरेंद्र ने गांव के पंडित और बाकी गांववाले को सारी घटना बताई। उन्होंने स्पेशल पूजा का आयोजन किया और आत्मा को शांति दिलाने की कोशिश की। पूजा के बाद वह भूतिया आकृति धीरे-धीरे गायब हो गई और तालाब शांत हो गया।
इसके बाद से, गांववालों ने उस तालाब को एक पवित्र स्थान मान लिया और वहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने लगे। वीरेंद्र और उसके दोस्तों की हिम्मत और साहस ने परागपुर गांव के एक बड़े रहस्य को सुलझाया और गांववाले चैन की नींद सोने लगे।