रामपुर गांव के किनारे एक विशाल और पुराना पेड़ खड़ा था, जिसे गाँव वाले “शापित पेड़” कहते थे। कहा जाता था कि इस पेड़ के नीचे कई साल पहले एक रहस्यमयी हादसे में कुछ लोगों की मौत हो गई थी, और तभी से उस पेड़ की छाया में जाने की हिम्मत कोई नहीं करता था।
बच्चों को सख्त हिदायत दी जाती थी कि वे शाम के बाद उस पेड़ के पास न जाएं, क्योंकि वहां भूतों का बसेरा था। लेकिन एक दिन, गाँव के एक नवयुवक, राहुल ने ठान लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाकर रहेगा। उसने अपने दोस्तों के साथ योजना बनाई और रात में उस पेड़ के नीचे जाने का निश्चय किया।
रात गहराते ही, राहुल और उसके दोस्त पेड़ के पास पहुंचे। हवा में एक अजीब सी खामोशी और ठंडक थी। पेड़ के नीचे पहुंचते ही, उन्हें अजीबो-गरीब सायों का एहसास होने लगा। अचानक, पेड़ की छाया में से एक भूतिया साया प्रकट हुआ। वह साया एक महिला का था, जिसके बाल बिखरे हुए थे और आँखे लाल-लाल जलती हुई प्रतीत हो रही थी।
राहुल का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, और उसके दोस्त डर से काँपने लगे। उस भूतिया साया ने उन्हें बताया कि वह एक विधवा महिला की आत्मा है, जो सालों पहले गाँव वालों ने निर्दयता से मार डाला था और उसकी आत्मा शापित पेड़ के नीचे भटक रही है।
राहुल और उसके दोस्तों ने तुरंत गाँव लौटकर बूढ़े लोगों को यह बात बताई। बुजुर्गों ने मिलकर एक अनुष्ठान का आयोजन किया ताकि उस आत्मा को शांति मिल सके। अगले दिन, पूरे गांव में पूजा-पाठ किया गया और रात होते-होते उस पेड़ के नीचे अनुष्ठान संपन्न हुआ।
जैसे ही अंधेरा हुआ, सभी ने आत्मा के प्रकट होने का इंतजार किया। आत्मा फिर से प्रकट हुई और इस बार उसका चेहरा शांतिपूर्ण था। बुजुर्गों के अनुष्ठान और गाँव वालों की प्रार्थना से आत्मा को शांति मिली और वह स्वर्ग को प्रस्थान कर गई।
उस दिन के बाद से, “शापित पेड़” का डर गाँव वालों के मन से मिट गया। राहुल की बहादुरी और गाँव वालों के सहयोग से वह प्रेतात्मा मुक्त हो गई और गाँव में फिर से शांति और सुकून लौट आया।