रविंद्र नगर का एक पुराना बंगला, जो सालों से खंडहर बनता जा रहा था, अपनी भूतिया कहानियों के लिए मशहूर था। एक बार, अनुराग और उसका दोस्त विकास ने तय किया कि वह बंगले के अंदर रात बिताएँगे। आधी रात को जब वे अंदर गए, तो अचानक उन्हें ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। चारों ओर अजीब सी खामोशी थी।
उन्होंने हिम्मत जुटाई और अंधेरे में टॉर्च की रोशनी की। तभी उन्हें सीढ़ियों से किसी के उतरने की आवाज़ सुनाई दी। विकास ने धीरे से कहा, “यहाँ कुछ तो है।” तभी एक सफेद साड़ी में महिला का प्रेत उनके सामने आ खड़ा हुआ।
अनुराग और विकास की साँसे थम गईं, वे वहाँ से भागने लगे। दरवाजे तक पहुँचते ही, दरवाजा खुद-ब-खुद बंद हो गया। वे समझ नहीं पा रहे थे कि उनका सामना सच्चा भूत से हुआ है या सिर्फ अफवाहों से।
अंत में, गाँव वालों ने उन्हें खोज निकाला और बताया कि वह भूत उस महिला का था जिसकी अचानक मौत यहाँ कई साल पहले हो गई थी। अनुराग और विकास ने कसम खाई कि वह कभी उस बंगले के पास भी नहीं फटकेंगे।
गाँव वालों से सच्चाई जानने के बाद भी अनुराग और विकास पूरी तरह से सचेत नहीं हो पाए। उन्होंने ठान लिया था कि अब वह उस बंगले के करीब नहीं जाएँगे, लेकिन मन में एक सवाल बार-बार उठता था – क्या वाकई वह महिला का भूत था या कुछ और?
कुछ दिनों बाद, गाँव में एक पुराना आदमी, जिसे लोग “दादा जी” कह कर बुलाते थे, उन्होंने अनुराग और विकास को अपने पास बुलाया। दादा जी ने उन्हें बताया कि उस महिला का नाम सुधा था। वह बहुत ही दयालु और सहनशील महिला थी, लेकिन उसकी शादी में दुखद घटनाएँ घटीं और उसे जिंदा ही बंगले में दफना दिया गया था।
दादा जी ने उन्हें बताया कि सुधा की आत्मा उस बंगले में तब तक भटकती रहेगी जब तक उसे न्याय नहीं मिल जाता। यह सुनकर अनुराग और विकास ने सोच-समझकर एक साहसिक क़दम उठाने का निर्णय लिया। उन्होंने गाँव वालों के साथ मिलकर सुधा की कहानी को उजागर करने और उसे न्याय दिलाने का संकल्प लिया।
उन्होंने पुलिस और स्थानीय प्रशासन की मदद से उस पुराने केस को फिर से खोलने की पहल की। जाँच के दौरान, कई गवाह और सबूत सामने आए जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सुधा का मर्डर किया गया था।
इस पूरी घटना के बाद, धीरे-धीरे सुधा की आत्मा को शांति मिल गई। बंगले में होने वाली अजीब घटनाएँ भी खत्म हो गईं। गाँव वालों ने मिलकर उस बंगले को फिर से साफ-सुथरा और रहने योग्य बनाया।
अनुराग और विकास ने महसूस किया कि उन्होंने सिर्फ एक भूत को मुक्त नहीं किया, बल्कि एक निर्दोष आत्मा को न्याय दिलाकर एक नेक काम किया।