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भूतिया कब्रिस्तान | Bhootiya Kabrastan Ki Bhoot Ki Story

Bhootiya Kabrastan

भूतिया कब्रिस्तान की कहानी

बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव के पास एक प्राचीन कब्रिस्तान था। इस कब्रिस्तान का नाम था “भूतिया कब्रिस्तान” और यह नाम इसके वातावरण के बिल्कुल अनुकूल था। गाँव के लोग इस कब्रिस्तान के पास जाने से भी डरते थे, खासकर रात के समय। कहते हैं कि रात के समय इस कब्रिस्तान से अजीब-अजीब आवाजें आती थीं, जैसे कोई रो रहा हो या हँस रहा हो। कोई भी इन कहानियों की सच्चाई जानने की हिम्मत नहीं करता था, लेकिन एक दिन, कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे गाँव को हिला कर रख दिया।

गाँव में एक युवक था जिसका नाम था रोहित। रोहित बहुत ही साहसी और निडर था। उसने कभी किसी भी डरावनी कहानी पर यकीन नहीं किया था। एक दिन, जब गाँव के बुजुर्ग एक बार फिर भूतिया कब्रिस्तान की कहानियाँ सुना रहे थे, तो रोहित ने ठान लिया कि वह इस रहस्य का पर्दाफाश करेगा। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर रात के समय कब्रिस्तान में जाने का निश्चय किया।

रात का समय था, चारों तरफ घना अंधेरा था। रोहित और उसके दोस्त धीरे-धीरे कब्रिस्तान के पास पहुँचे। जैसे ही वे कब्रिस्तान के गेट के पास पहुँचे, एक ठंडी हवा का झोंका उन्हें सहमा गया। लेकिन रोहित ने हिम्मत नहीं हारी और गेट को खोल दिया। अंदर का दृश्य बहुत ही डरावना था। हर तरफ पुरानी कब्रें थीं, जिन पर काई जम चुकी थी। कुछ कब्रों के पत्थर टूट चुके थे और कुछ तो पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थीं।

जैसे ही वे सब कब्रिस्तान के अंदर गए, अचानक एक तेज आवाज आई, “कौन है वहाँ?” सबकी साँसें थम गईं। रोहित ने साहस जुटाकर आवाज दी, “हम गाँव के लोग हैं, और हम जानना चाहते हैं कि इस कब्रिस्तान में क्या हो रहा है।” उसी क्षण, एक साया उनके सामने प्रकट हुआ। वह साया एक बूढ़े आदमी का था जिसकी आँखें लाल थीं और चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।

रोहित ने हिम्मत दिखाते हुए पूछा, “आप कौन हैं और यहाँ क्या कर रहे हैं?” बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, “मैं इस कब्रिस्तान का रक्षक हूँ और मेरी आत्मा यहाँ भटक रही है क्योंकि मैं अपने कर्तव्य को पूरा नहीं कर सका। मेरी आत्मा को शांति नहीं मिल रही है।”

रोहित ने उस आत्मा से पूछा, “हम आपकी कैसे मदद कर सकते हैं?” बूढ़े आदमी ने कहा, “मेरी आत्मा तभी मुक्त हो सकती है जब इस कब्रिस्तान के सभी मृतकों की आत्माओं को शांति मिले। उनके अंतिम संस्कार सही तरीके से नहीं हो पाए थे।”

रोहित और उसके दोस्तों ने मिलकर कब्रिस्तान के सभी मृतकों की आत्माओं को शांति दिलाने का निश्चय किया। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों से सलाह ली और सभी आत्माओं का विधिवत अंतिम संस्कार किया। धीरे-धीरे, कब्रिस्तान की अजीब आवाजें बंद हो गईं और बूढ़े आदमी की आत्मा को शांति मिल गई।

आज भी गाँव के लोग रोहित और उसके दोस्तों की बहादुरी की कहानियाँ सुनाते हैं। कब्रिस्तान अब पुराना जरूर है, लेकिन अब वहाँ कोई भूत नहीं है। यह कहानी हमें सिखाती है कि साहस और एकता से हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। भूतिया कब्रिस्तान की यह कहानी गाँव में हमेशा के लिए यादगार बन गई और रोहित की बहादुरी की मिसाल बन गई।

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