एक दूरस्थ गाँव के पास, हरे-भरे पेड़ों से घिरा एक पुराना बाग था जिसे लोग सूर्यास्त के बाद जाने से डरते थे। इस बाग को कभी उसकी सुंदरता और भव्यता के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह एक भुतहा, उबड़-खाबड़ भूलभुलैया में बदल गया था। ग्रामीणों में यह अफवाह थी कि एक छोटी लड़की का भूत बाग में घूमता रहता है, किसी का या किसी चीज़ का इंतजार करते हुए।
कई साल पहले, यह बाग एक धनी परिवार का था, जो अपनी छोटी बेटी, अनन्या को बहुत प्यार करते थे। अनन्या एक चंचल और जिज्ञासु बच्ची थी जो बाग के हर कोने को देखकर खुशी से झूम उठती थी। एक दिन दोपहर को, अनन्या खेलते-खेलते गायब हो गई, और गांववालों के तमाम प्रयासों के बावजूद, कभी मिल नहीं पाई। उसके माता-पिता दुःखी होकर गाँव छोड़ कर चले गए, और धीरे-धीरे बाग उजाड़ हो गया।
समय के साथ, अनन्या के भूत की कहानियाँ बढ़ने लगीं। लोगों ने उसकी हंसी को दुखभरे रोने में बदलते हुए सुना और सफेद कपड़े में एक लड़की की झलक देखते थे। इन कहानियों की सच्चाई जानने के लिए तीन दोस्त—अर्जुन, मीरा और वंदना—ने बाग का रहस्य खुलासा करने का निश्चय किया।
चमकती टॉर्च और कैमरे के साथ, वे एक धुंधली शाम बाग में प्रवेश कर गए। माहौल में भारीपन और एक डरावनी चुप्पी फैली हुई थी। बाग की पगडंडी जो कभी खूबसूरत थीं, अब उनमें लताओं और जंगली झाड़ियों का जाल बसा हुआ था। हर कदम उनके दिल की धड़कन को तेज करता जा रहा था।
जैसे-जैसे वे बाग के गहरे हिस्सों की ओर बढ़े, वंदना ने दूर एक पुराने, खंडहर हुए गज़ीबो से एक हल्की चमक देखी। “आओ, देखते हैं,” अर्जुन ने प्रस्ताव रखा, उसकी आवाज में उत्साह और डर का मिश्रण था। वे उस चमक की ओर बढ़े, उनकी पदचाप बाग की पथरीली पगडंडी पर गूंज रही थी।
गज़ीबो के अंदर, उन्हें एक बच्ची की डायरी मिली जो एक पत्थर की बेंच पर रखी थी। मीरा ने उसे संभाल कर खोला और उन्होंने अनन्या की अंतिम लिखावट पढ़नी शुरू की। डायरी ने खुलासा किया कि अनन्या ने बाग में एक पुराना, छुपा हुआ कुआँ खोजा था और उसमें एक जादुई रहस्य छिपा हुआ था। वह उसे और खोजने की योजना बना रही थी जिस दिन वह गायब हो गई।
अचानक, एक हल्की दर्दभरी सिसकी हवा में गूंज उठी। उन्होंने देखा कि कुएं के पास एक भूरे कपड़े में लिपटी एक छोटी लड़की की आकृति खड़ी थी, उसकी आँखें दर्द और इंतजार से भरी हुई थीं। “मुझे मदद करो,” उसने धीमी और धुंधली आवाज में कहा। “जब तक मेरा रहस्य खुलासा नहीं होगा, मुझे शांति नहीं मिलेगी।”
उसकी विनती से प्रेरित होकर, दोस्तों ने कुएं की खोज करनी शुरू की। कुछ लताएँ हटाकर, उन्होंने एक छोटा-सा खुला हिस्सा पाया। जब वे अंदर झांके, तो अंदर मकड़ियों के जाले और अंधेरे साये थे। वंदना ने अपनी टॉर्च अंदर रखी और एक धातु की चमक देखी। उसने एक छोटा, सुन्दर लॉकेट बाहर निकाला जिस पर अनन्या और उसके माता-पिता की एक तस्वीर थी, सभी मुस्कुराते हुए और खुशहाल।
लॉकेट का महत्व समझते हुए, मीरा ने उसे धीरे से पत्थर की बेंच पर रखा, घो
स्ट की आकृति की ओर मुख करते हुए। अनन्या का भूत धीरे-धीरे लॉकेट के पास आया, शांतिपूर्ण चेहरे के साथ। “धन्यवाद,” उसने कहा, और उसकी आकृति धीरे-धीरे धुंध में मिल गई।
अनन्या की आत्मा को शांति मिलने के बाद, बाग का भारी वातावरण हल्का हो गया। मित्रों ने बाग से बाहर कदम रखा, उनके दिलों में हल्कापन और संतुष्टि का एहसास था कि उन्होंने एक खोई आत्मा को मुक्त किया।
भुतहा बाग अब कोई डरावनी जगह नहीं रहा और वह एक शान्त व स्मरणीय स्थान बन गया। अर्जुन, मीरा और वंदना की बहादुरी की कहानी गाँव में फैल गई, लोगों को यह याद दिलाते हुए कि प्रेम और सच्चाई कि कभी हार नहीं होती, चाहे परिस्थिति कितनी भी भयावह क्यों न हो।