श्यामपुर गांव में एक बहुत पुरानी हवेली थी, जिसे लोग “भूतिया हवेली” कहते थे। इसे कई सालों से किसी ने नहीं छुआ था। गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते थे कि हवेली में कुछ अजीबोगरीब घटनाएं होती थीं, जिससे वहां जाना वर्जित था।
राजू, जो गांव का सबसे जिज्ञासु लड़का था, उसने यह ठान लिया कि वह हवेली के रहस्य का पता लगाएगा। एक दिन, आधी रात के समय, राजू ने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और हवेली पहुंचा। हवेली किनारे खड़ा राजू उस समय डर से कांप रहा था।
हवेली के अंदर सब कुछ खंडहर जैसा था। मौन और ठंडी हवा पूरे माहौल को और भी डरावना बना रही थी। जब वह अंदर घुसा, तो उसको एक हल्की-सी खड़खड़ाहट सुनाई दी। राजू और उसके दोस्तों ने एक-दूसरे को देखा और धीरे-धीरे आगे बढ़े। वहां उन्होंने देखा कि एक पुरानी तस्वीर थी, जिसमें एक परिवार नजर आ रहा था।
तभी अचानक, वह तस्वीर जमीन पर गिर पड़ी और हवेली में गूंजती हुई आवाज आई – “कौन हैं यहाँ?” राजू और उसके दोस्तों ने डर के मारे कांपते हुए चारों ओर देखा। उन्होंने देखा कि एक आत्मा उन सभी की ओर धीरे-धीरे बढ़ रही थी। वह आत्मा एक बूढ़े आदमी की थी, जो बेहद दुखी लग रहा था।
राजू ने साहस जुटाकर पूछा, “आप कौन हैं और यहां क्या कर रहे हैं?”
आत्मा ने करुण आवाज में कहा, “मैं इस हवेली का पूर्व मालिक हूं। मेरी हत्या कर दी गई थी और मेरी आत्मा को शांति नहीं मिल पाई है।”
राजू ने तुरंत अपने गांव के पंडित को बुलाया और विशेष पूजा-अर्चना की व्यवस्था की। पंडित ने हवेली में विशेष हवन और मंत्रोच्चारण किया। यह प्रक्रिया पूरी होते ही उस आत्मा का चेहरा शांत हो गया और वह कहने लगी, “अब मुझे शांति मिल गई है। धन्यवाद बच्चो!”
इसके बाद से हवेली में कोई अजीब घटना नहीं हुई और श्यामपुर गांव के लोग निश्चिंतता के साथ वहीं जीवन जीने लगे। राजू की हिम्मत और समझदारी ने पूरे गांव को एक बड़ा डराने वाला रहस्य सुलझाने में मदद की।