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एक डरावनी पुस्तकालय की कहानी | A Horror Story of a Haunted Library

A Horror Story of a Haunted Library

गांव श्यामनगर की एक पुरानी पुस्तकालय में कुछ ऐसा राज था जो किसी को भी वहां जाने की हिम्मत नहीं होती थी। यह पुस्तकालय पुराने जमाने की एक हवेली के भीतर स्थित था, जिसकी दीवारें समय के साथ काली और नम हो गई थीं। लोगों का मानना था कि यहां दीवारें जिंदा हैं और उन्होंने कई रहस्यमयी मौतों को अपनी आंखों से देखा है।

एक रात, गांव के तीन बहादुर दोस्त – अनिल, अनुज और प्रिया ने यह तय किया कि वे इस पुस्तकालय की सच्चाई का पता लगाएंगे। आकाश में बादल छाए हुए थे और बिजली चमक रही थी। आधी रात को, तीनों दोस्तों ने टॉर्च और कुछ खाने-पीने के सामान के साथ पुस्तकालय की ओर रुख किया।

जैसे ही वे हवेली के भीतर प्रवेश किए, एक ठंडी और भयानक हवा का झोंका उन्हें घेर लिया। पुस्तकालय के अंदर की दीवारों पर अजीबो-गरीब निशान और चित्र बने हुए थे जो कि किसी खौफनाक इतिहास का संकेत दे रहे थे। दीवारों पर हाथों के निशान, खून के धब्बे और रहस्यमयी लिखावट थी।

अनिल ने देखा कि एक दीवार पर कुछ अधिक चमकीला लिखा था। उसने अपनी टॉर्च की रोशनी उसके ऊपर डाली, और देखा कि वह एक पुराने मंत्र का हिस्सा था। उन शब्दों को पढ़ते ही दीवारों से धीमी-धीमी आवाजें निकलने लगीं। अचानक, दीवारें हिलने लगीं और उनमें से खौफनाक चेहरे उभरने लगे।

अनुज को लगा कि वह किसी अदृश्य शक्ति द्वारा खींचा जा रहा था। प्रिया ने अनिल का हाथ पकड़कर उसे बचाने की कोशिश की लेकिन दीवारों के पास पहुंचते ही उसकी भी आंखों में डर झलकने लगा। वे दोनों किसी तरह साहस जुटाकर अनुज को खींचकर बाहर लेकर आए।

तीनों दोस्त जल्दी-जल्दी वहां से भागते हुए बाहरी दरवाजे तक पहुंचे जब उन्होंने सुना कि पुस्तकालय की दीवारों से एक दर्दनाक चीख निकल रही थी। वे गांव के किसी जानकार बाबा के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई। बाबा ने कहा कि वह पुस्तकालय शापित है और उसे तंत्र-मंत्र द्वारा मुक्ति दिलानी होगी।

अगले दिन, बाबा और बाकी गांववाले पूजा करने पुस्तकालय पहुंचे और विशेष मंत्रों का जाप शुरू किया। जैसे-जैसे मंत्र पूरे होने लगे, पुस्तकालय की दीवारें धीरे-धीरे स्थिर हो गईं और वहां की खौफनाक आवाजें थम गईं। अंत में, जैसे ही अंतिम मंत्र पूरा हुआ, पुस्तकालय के अंदर एक तेज रोशनी आई और समझा कि शापित आत्माएं अब मुक्त हो गई हैं।

गांववालों ने उस पुस्तकालय को सदा के लिए बंद कर दिया और उसके बारे में किसी को भी कुछ नहीं बताया। अनिल, अनुज और प्रिया उस रात को कभी नहीं भूले, और उस पुस्तकालय की दीवारें उनके जीवन में हमेशा के लिए एक खौफनाक रहस्य बन गईं।

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